उचेहरा वन परिक्षेत्र के गढौत में ग्रीन इंडिया के तहत दो दिवसीय कार्यशाला सम्पन्न
भोपाल से आये अधिकारियों ने ग्रामीणों के साथ कि मंत्रणा
सतना । जिले के उचेहरा वन परिक्षेत्र के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र परसमनिया पठार के गढौत में ग्रीन इंडिया मिशन के अंतर्गत आजीविका और वन विकास की साझा रणनीति विकसित करने के उद्देश्य से उचेहरा रेंज के गढ़ौत गांव में आयोजित दो दिनी कार्यशाला का रविवार को समापन हो गया । 8 सत्रों में आयोजित वर्कशॉप के बाद यह अवधारणा निकलकर सामने आई कि आज के दौर में जनोन्मुखी वन प्रबंधन की सख्त जरूरत है ।बरूआ नदी पुर्नजीवन अभियान से जोड़कर उक्त अवधारणा को साकार करने के लिए वन विभाग द्वारा माइक्रोप्लान बनाने का काम शीघ्र ही प्रारंभ किया जाएगा ।
रविवार को कार्यशाला के दूसरे अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक संयुक्त वन प्रबंधन चितरंजन त्यागी ने समुदायो के आजीविका पर केंद्रित वनों का विकास बांस ,महुआ, सागौन यूकोलिप्टस के महत्व व लेंटाना से कुर्सी टेबिल बनाने के बारे में विस्तार से बताया उन्होंने कहा कि अगर आदिवासी वैज्ञानिक पद्धति से कार्य करेगा अन्य कही जाने की आवश्यकता नही होगी व पलायन रुकेगा।
सेवानिवृत वनाधिकारी यमुना जिए अभियान के सयोजक श्री मनोज मिश्रा, ने विभिन्न गावो से आये लोगो से चर्चा करते हुए गावो से जुड़ी हुई नदिया व उनके सहायक नदियों नालों पर के उत्थान पर विचार विमर्श किया
उन्होंने कहा कि मनुष्य उन्ही गावो में बसा जहाँ नदिया व नाले गावो के आसपास जुड़े हुए है
इसलिए वनक्षेत्र बढ़ाने के साथ वनोपज से आय बढ़ाने के लिए भी काम करने की आवश्यकता है
इस दौरान पद्मश्री बाबूलाल दाहिया ने कहा की अगरबत्ती सेंटर व अन्य वनोपज से आदिवासी को अच्छा लाभ के साथ उनकी आजीविका का सुदृढ़ीकरण होगा साथ ही उन्होंने परम्परागत खेती मोटे अनाज के लाभ व रासायनिक खेती के दुष्प्रभाव को विस्तार से बताते हुए कहा कि जिस तरह परम्परागत खेती ,मोटे अनाजो को छोड़कर रासायनिक पद्धति की तरह लोगो का आकर्षन बढ़ा है उसी का परिणाम है कि परसमनिया व अन्य क्षेत्र में कुपोषण का का दायरा बढ़ता जा रहा है
अगरबत्ती केन्द्र का हुआ लोकार्पण
ऊँचेहरा वन परिक्षेत्र के अतर्वेदिया खुर्द नई बस्ती में आदिवासियों के रोजगार के साधन के लिए 22 लाख की लागत से बनाए गए अगरबत्ती केन्द्र का लोकार्पण पद्मश्री बाबूलाल दाहिया के हाथो हुआ । रेंजर दीपकराज प्रजापति ने बताया कि अगरबत्ती केंद्र में अभी पांच ऑटोमैटिक मशीन व छः पैडल मशीन रखी गई जिसमें अभी यहां के लोगो को प्रशिक्षित करने परसमनिया गढौत से मास्टर ट्रेनर आएगी व भविष्य में यहां बृहद रूप में मशरूम के उत्पादन कराने की भी योजना है ।
किसी तीर्थ से कम नही है एक साथ धान की 200 किस्मो की खेती
पद्मश्री बाबूलाल दाहिया के खेत में उगाई जा रही 200 प्रकार की दुर्लभ परम्परागत किस्मो का भृमण करने पहुचे श्री मनोज मिश्रा, सेवानिवृत वनाधिकारी व यमुना जिए अभियान के सयोजक,सहित अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक संयुक्त वन प्रबंधन चितरंजन त्यागी व सहभागी नियोजन एवं क्षमता वृद्वि विशेषज श्याम बोहरे ने एक साथ इतनी ज्यादा किस्मो को देख अचंभित रह गए उन्होंने कहा कि यह किसी तीर्थ स्थल से कम नही है
ये रहे उपस्थित
कार्यक्रम में मुख्य रूप से राजीव मिश्रा वन मंडलाधिकारी सतना ,श्याम बोहरे सहभागी नियोजन एवं क्षमता वृद्वि विशेषज्ञ,आरबी शर्मा सेवा निवृत्त डीएफओ ,धीरेन्द्र प्रताप सिंह एसडीओ सतना,एसके शर्मा एसडीओ मैहर , दीपक राज प्रजापति रेंजर ऊँचेहरा ,समाजसेवी अंगिरा मिश्रा,ददोली पांडेय,रामराज कुशवाहा,सुरेंद्र दाहिया ,वैद्य रामलोटन कुशवाहा,व बीट गार्ड,कमलाकांत पांडेय, संजीव शुक्ला, रोहणी तिवारी, रविशंकर कोल,ग्रीश पांडेय सहित स्थानीय स्तर पर वनसमितियो व स्वयंसेवी संस्थाओं के सदस्य,ग्रामीण महिलाएं व पुरुष उपस्थित रहे ।