3 वर्ष पहले 26 अक्टूबर 2016 को मैनपाट अम्बिकापुर छत्तीसगढ़ यात्रा पर धरती हिलने और ठिनठिना पत्थर के बारे में स्मरण ।
सुनने में आश्चर्य पर अंबिकापुर छत्तीसगढ़ के मैनपाट नामक पठार के ऊपर जलजला स्थान है । जहाँ जमीन पर उछलने पर आसपास की जमीन पर कम्पन का अनुभव उतपन्न होता है यह जगह लंबे समय से लोगों की दिलचस्पी का केंद्र है यदि खड़े होकर थोड़ा भी जम्प करे तो।
ठीक उसी तरह,जैसा किसी गद्दे पर उछलने से महसूस हो सकता है।
जमीन पर कूदते ही वह धंसती है और गेंद की तरह वापस ऊपर आ जाती है। कुदरत के इस खेल को देखने बाहरी लोग दिन भर पहुंचते रहते हैं और कुछ देर तक बच्चों की तरह उछलते रहते हैं। पर यह सिर्फ 3 - 4 हैक्टर क्षेत्र भर में ऐसा है ।
इसे तार से फ्रेन्सिंग कर छत्तीसगढ़ पर्यटक बिभाग ने घेर रखा है।।
मैंनपाट का पठार लगभग 40 किलोमीटर लम्बा और 30 किलोमीटर चौड़ा व पचमढ़ी के बरावर ही ऊँचा है। जहाँ चढ़ने पर आक्सीजन की कमी के कारण घुटन सी महसूस होती है पर वहा बसने बाले माझी और उराव आदिवासी आराम से निवास करते है। यह जरूर है कि उनकी शारीरिक संरचना दुबली पतली और ऊँचाई 5 फीट से ऊपर नही है।
इसी तरह पहाड़ी के नीचे मैदानी भू भाग दरिमा हवाई पट्टी के पास एक बहुत पुराना पत्थरो की ढेर है उनमे बाकी पत्थरो से तो खट खट की आवाज आती है पर ऊपर वाले पत्थर से खन्न खन्न और टन्न टन्न की ध्वनि निकलती है टकराने वाली चीज की हार्डनेस और मैटलिक कंटेंट के आधार पर आवाजें भी अलग-अलग निकलती हैं हालांकि सारी आवाजें सरल भाषा में टनटनाहट जैसी होती हैं। इस विलक्षणता के कारण इस पत्थरो को अंचल के लोग ठिनठिनी पत्थर कहते है। इसे लेकर आसपास कई तरह के किस्से- कहानियां हैं। कुछ लोग इसे चमत्कार तो कुछ दूसरे ग्रह या उल्का का पत्थर भी मानते हैं।
पर हर चमत्कारी चीजो के पीछे भी कोई न कोई बैज्ञानिक कारण होता है।
पत्थर के बजने को मेरे दादा जी ने बताया कि उस पत्थर के दोनों सिरा एक बड़े पत्थर में रखे है पर बीच में पोला गैप उसके बजने का कारण होगा ।
इसी तरह हिलने वाली जमीन को उनने बताया कि वह पुरानी झील रही होगी जहाँ सघन सरई के पेड़ो के पत्ते आकर भठ गए तथा बह बह कर आई मिट्ठी की एक पर्त ने उसे दल दल बना दिया जिस के ऊपर घास जम आई पर नीचे पानी और पत्तो की पर्त होने के कारण ऊपरी सतह हिलने लगी।
आप भी धरती हिलने और ठिनठिना पत्थर की फोटो और वीडियो देखिये
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