Tuesday, October 29, 2019

दीपावली पर लगा गधों का मेला फिल्मी सितारों के नाम पर लगती है लाखों की बोली


रिपोर्ट - अनुपम दाहिया

दीपावली पर लगा गधों  का मेला

फिल्मी सितारों के नाम पर  लगती है लाखों की बोली
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दीपावली त्योहार में शाॅपिंग का जलवा ही अलग रहता है क्यो कि यह खरीदारी का प्रमुख त्यौहार माना जाता है। इस दौरान बाजार में ग्राहकों को आकर्षित करने के तमाम तरह के ऑफर और डिस्‍काउंट भी मिलते है लेकिन बहुत ही कम लोगो ने सुना होगा की जिस गधे को मूर्खता का पर्याय मान सभी लोग  गाली देते हैं उसका भी व्यापार होता है और उसके खरीदारों को बकायदे डिस्काउंट भी मिलता है 
           हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी जिले की धर्मनगरी चित्रकूट में दिवाली के अवसर पर इन गधों और खच्चरों का मंदाकनी नदी के किनारे पड़े मैदान में 3 दिवसीय  ऐतिहासिक मेले का आयोजन शुरू हो चुका है दिवाली के दूसरे दिन से लगने वाले इस मेले की व्यवस्था बाकायदा नगर पंचायत द्वारा की जा चुकी  है जिससे नगर पंचायत चित्रकूट को गधा मेले से हर वर्ष लाखो रुपयों का राजस्व भी मिलता है ।       

             बताया गया है कि यहां देश के विभिन कोने से हजारो की संख्या में अलग अलग नस्लो के गधे खच्चरों को लेकर  व्यापारी आते है जहा 3 दिन में लाखो का व्यापार होता है। 
         इस गधा बाज़ार में आने वाले व्यापारियों को कभी मुनाफा तो कभी घाटा भी  उठाना पड़ता  है । क्यो कि  यह मांग और पूर्ति के बाज़ार पर निर्भर होता है । 

मुगल काल से हुई थी शुरूआत
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मिली जानकारी के अनुसार इस गधा मेला की शुरूआत  सर्व प्रथम मुगल काल में हुई थी। 
     कहते है  मुगल बादशाह औरंगजेब के सैन्य बल में घोड़ों की कमी होने पर जब  अफगानिस्तान से बिकने के लिए अच्छी नस्ल के खच्चर व गधे बुलबाए गए और उन्हे मुगलसेना के बेड़े में शामिल किया तो उनकी खरीदी इसी चित्रकूट के हाट से हुई थी। तब से चली आ रही इस ऐतिहासिक मेले की यह  अनवरत परम्परा आज भी जारी है और इसीलिए इस​ मेले का अत्यधिक ऐतिहसिक महत्व भी है।

देश के विभिन्न कोनो  से आते हैं लोग
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इस मेले में  मध्यप्रदेश के विभिन्न जिलों के अलावा उत्तर प्रदेश छत्तीसगढ, राजस्थान,पंजाब, हरियाणा, बिहार, जम्मू कश्मीर, से खच्चरों व गधों को खरीदने और बेचने के लिए व्यापारी आते हैं ।
       व्यापारियों की माने तो गधो व खच्चरों की यहा पर अच्छी खाशी कीमत मिलती है और चित्रकूट का ​मेला खरीदी एवं बिक्री के लिए सबसे अच्छा माना जाता है ।  हालांकि अब यहां भी कुछ आव्यवस्थाये होने लगी है जिससे व्यापारियो को परेसान भी होना पड़ता है

अभिनेताओं के नाम पर मिलती है अच्छी कीमत
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इस मेला में आने वाले गधों के नाम भी व्यापारी बड़े अजीबो गरीब ढंग के रखते है  जिनमे अक्सर फिल्म जगत के कलाकारों के नामो की बाहुलता होती है । उदाहरण के लिए सलमान,साहरुख,दीपिका,रणवीर,अक्षय,गोविंदा,मिथुन, सनी, हनी, महिमा,पारूल, नगीना, हीना, टाइगर, आदि जो किसी न किसी अभिनेताओं के नाम पर होते है। और फिर उनकी कीमत भी नाम एवं खूब सुरती के अनुसार आंकी जाती है। हालांकि नाम के साथ  इनकी कीमत में उम्र व दांतो की गिनती भी शामिल होती है ।


घास खिलाने से कष्ट दूर होता है
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 लोक मान्यता के आधार पर इस गधा मेले में आसपास के गाव के लोग यहां आकर गधो को घास खिलाने आते है । उनका मानना है कि  ऐसा करने से परिवार के सभी कष्ट दूर हो जायेगे व उन्हें पुण्य  मिलेगा

खतरे में मेले का अस्तित्व
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 धर्म नगरी चित्रकूट के मंदाकिनी नदी के तट पर लगने वाले इस ऐतिहासिक गधा मेले मे कम होती गधा व्यापारियो ,खरीदारों की संख्या व आधुनिक मशीनरी उपयोग  को मिलरहे बढ़ता  एवं वैश्विक मंदी के चलते उसका असर अब जानवरों के इस मेले में भी दिख रहा है। जिससे धीरे धीरे  मेले का अस्तित्व भी खतरे मे  पड़ता दिखाई देने लगा  है ।  यदि गधा मेले की इसी तरह अनदेखी  की जाती रही तो निकट भविष्य में यहा इस गधा मेला के खत्म होने मे बहुत देर नही लगेगी ।

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