अतिक्रमण के कारण फुटहा तालाब के अस्तित्व पर संकट
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आखिर कब अतिक्रमण मुक्त होगा गाव को पानीदार करने वाला फुटहा तालाब ? आधी से ज्यादा जमीन पर हो चुका है अतिक्रमण
विगत कई वर्षों से लगातार गिर रहे जलस्तर को देखते हुए पर्यावरण की सुरक्षा के लिए केंद्र और प्रदेश सरकार चिंतित नजर आई। विगत दिनों मंत्रालय में पानी का अधिकार’ एक्ट के लिए गठित जल विशेषज्ञों की समिति के सदस्यों के साथ चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री कमल नाथ ने कहा था कि प्रदेश की नदियों, तालाबों तथा अन्य जल स्त्रोतों पर सभी अतिक्रमण को सख्ती से हटाया जाएगा व जल स्त्रोतों पर अतिक्रमण को अपराध माना जाएगा साथ ही पानी का अधिकार एक्ट का प्रारूप शीघ्र बना इसे विधानसभा के शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा । निर्णय बहुत ही बेहतर है पर धरातल में देखा जाए तो स्थिति अलग ही दिखती है।
ऊँचेहरा जनपद क्षेत्र के पिथौराबाद गांव के मध्य ह्दय स्थल कहलाने वाले फुटहा तालाब के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है। अतिक्रमण के कारण इसका क्षेत्र उत्तरोत्तर सिमटता जा रहा है। और जब तालाब का क्षेत्र सिमटने लगता है तो उसके अस्तित्व पर भी खतरा मंडराने लगता है। अतिक्रमण के चलते यहां बरसात में जल संचय नहीं होने के कारण कुछ वर्षों से गर्मी में तालाब सूख जाता है। पहले तालाब को स्वच्छ और जीवित रखना गांव के लोग अपना कर्त्तव्य समझते थे। लेकिन अब स्थिति बदल गई है। कोई तालाब के बारे में सोचता भी नहीं है। जिसकी मेड़ में डेढ़ दर्जन से अधिक लोगों ने अवैध कब्जा कर बाड़ लगाकर हर वर्ष दायरा बढाते जा रहे है। व मार्ग के किनारे से 20 फीट भीतर तक तालाब की आधी जमीन को अतिक्रमण कर लिया है।
एक असमाजिक व्यक्ति ने रंगदारी करते हुए काफी लम्बे समय से तालाब के बीच 2.299 हे. लम्बे चौड़े क्षेत्र में कच्चा मकान बना खेती कर रहा है । मामले में ग्राम पंचायत की ग्राम सभा के दौरान प्रस्ताव पारित करते पंच प्रतिनिधि सहित ग्रामीणों ने नामजद 18 कब्जेधारियों की ऊँचेहरा तहसीलदार व एसडीएम को लिखित शिकायत की है हालांकि एक अतिक्रमणकारी को 2 वर्ष पहले 7 दिवस के अंदर कब्जा हटाने और मूल रूप में लाने नोटिश दिया गया था लिहाजा 2 साल बीत जाने के बावजूद अब तक अतिक्रमण नहीं हटा है। इस तरह की उपेक्षा के कारण अब तालाब का नामो निशान धीरे-धीरे मिटता दिखाई दे रहा है। जिस पर अब एक बार पुनः पंचायत राजस्व अधिकारी सहित अन्य अधिकारियों को ग्राम पंचायत के माध्यम से शिकायत करते ग्रामीणों ने अतिक्रमण कारियो पर रोक लगाने और तालाब को संरक्षित करने की मांग प्रशासन से की है। एवं चेताया है कि अब समस्या का समाधान अगर नही होता तो आंदोलन की राह पकड़ने को मजबूर होंगे
दो साल पहले तहसीलदार ने 7 दिवस में हटाने नोटिस देकर भूल गए
जानकारी के अनुसार दिनांक 16 मार्च 2018 में तत्कालीन ऊँचेहरा तहसीलदार द्वारा पिथौराबाद फुटहा तालाब के अराजी नम्बर 1119 रकबा 2.299 हे. पर 0.800आरे में रामलाल पिता बड़कईया कुम्हार द्वारा कब्जा करते हुए 14x8 में अवैध रूप से कच्चा मकान बनालिए जाने पर अवैध कब्जा हटाने का आदेश नोटिस के द्वारा दिया गया था जिसम 7 दिवस के अंदर प्रस्तुत होकर जमीन से अतिक्रमण हटाकर मूलस्वरूप में करना था साथ मर यह चेताया था कि अगर तय दिवस में अतिक्रमण नही हटाया जाता तो बेदखल कर जमीन के बाजार मूल्य 8 लाख रुपये का 20 प्रतिशत 1लाख 60 हजार रुपये अर्थदण्ड करने व अविलंब पालन न होने पर 500 रुपये प्रति दिन के हिसाब से अतिरिक्त अर्थ दण्ड भरने केलिए आदेशित किया गया था ।
पर बाद में तहसीलदार के स्थानान्तरण हो जाने के बाद किसी भी तरह की कार्यवाही नही की गई। सिर्फ नोटिश पर नोटिस भेजी जाती रही है पर बाद में आज तक किसी ने भी आतिक्रमन मुक्त करने की जहामत नही उठाई है।
*जिले में उत्कृष्ट जैवविविधिता पार्क बनाने की योजना में फिर रहा पानी*
विगत वर्ष फुटहा तालाब के 2 हेक्टेयर भूमि को ग्राम पंचायत द्वारा जैवविधिता प्रबंधन समिति
को बिभिन्न प्रकार के दुर्लभ प्रजाति पौधों की जैव विविधिता वाटिका लगाने हेतु हस्तांरित किया गया था जिसमे 100 से अधिक दुर्लभ प्रजाति के पौधे लगाए गए थे पर अतिक्रमणकरियो ने जड़ से ही रोपित पौधे उखाड़ कर फेंक दिए और समिति की मन्सा पर पानी फेर दिया ।
ज्ञात हो कि जैवविविधिता प्रबधन समिति पिथौराबाद ऐसी समिति है जो विलुप्त प्रायः पेंड पौधे वनस्पतियां व परम्परागत अनाजो, जड़ी बूटियों, सब्जियों की प्रजातियो के सरक्षण पर काम कर रही जिसके तहत समिति को जैवविविधता के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए देश का सर्वोच्च इंडिया बायोडायवर्सिटी अवार्ड-2018 भी मिल चुका है व अभी विगत माह राज्यस्तरीय प्रथम जैवविविधता पुरस्कार मिल है । समिति के अध्यक्ष पद्मश्री बाबूलाल दाहिया व सदस्यों की सहमति अनुसार पिछले वर्ष अवार्ड में मिली राशि को सदुपयोग करते जल संरक्षण के लिए फुटहा तालाब सहित अन्य 5 फूटे हुए तालाबो की मरम्मत कराकर उन्हें इस लायक बनाया था कि उसमे बरसात का पानी रूके और गाव पानीदर बना रहे । समिति की योजना है की तालाब के अगोर की जमीन में तरह तरह के पौधे लगा कर इसे जिले के एक उत्कृष्ट जैवविधिता पार्क के रूप में विकसित किया जाय पर अतिक्रमण के कारण कुछ नही हो पा रहा।
*इन्होंने व्यक्त की चिंता*
*जनमानस को भी प्रेरित करने की जरूरत है*
क्षेत्र में पेंड पौधे जल सरक्षण पर सक्रिय समाजसेवी इन्द्रपाल सिंह पटेल ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि रीवा सम्भाग में लगभग 600 हजार तालाब है जो तब बने थे जब प्राचीन समय मे बहुत बड़े बड़े अकाल पड़े थे । लोग पलायन को मजबूर न हो और यहीं काम मिले इस हेतु अधिकांश तालाब पवाईदार व सम्पन्न लोगों द्वारा बनाये जाते थे जो एक पुण्य का कार्य माना जाता था। पर अब ऐसा जमाना है की लोग तालाबो के अस्तित्व को ही खत्म करने के लिए आमादा है फुटहा तालाब के बीच मे बेजा कब्जा किये कुछ लोगो द्वारा जिस प्रकार दुर्लभ महत्वपूर्ण और महत्वपूर्ण दुर्लभ पौधों को नष्ट कर दिया गया है ।वह जनहित में तालाब के सिकुड़ रहे आकर को अतिक्रमण मुक्त कराना जरूरी है साथ ही जल संरक्षण को लेकर ठोस पहल करने की आवश्यकता भी है ।
साथ ही इसे जीवन का हिस्सा बनाते हुए जनमानस को भी प्रेरित करने की जरूरत है ।
*पंचायत ने प्रसाशन से किया अनुरोध*
गाव के *सरपँच अशोक नागर* बताते है कि तालाब के मेंड़ पर बड़े पैमाने में बाड़ लगाकर अतिक्रमणकारियो द्वारा लम्बे पैमाने पर कब्जा कर लिया गया है व तालाब के बीचोबीच घर भी बना लिया है। इसके संबंध में पंचायत द्वारा ऊँचेहरा एसडीएम व तहसीलदार को आवेदन देकर अतिक्रमण से मुक्त कराने का अनुरोध किया जा चुका है । लेकिन अब तक उक्त तालाब को प्रशासन द्वारा अतिक्रमण से मुक्त नहीं कराया गया है।
*जल्द ही किया जाएगा आतिक्रमन मुक्त*
इस मामले में ऊँचेहरा के तहसीलदार *अभयराज सिंह* ने बताया कि सम्बन्धित तालाब में आतिक्रमण के मामले की जानकारी व आवेदन पंचायत के प्रतिनिधियों के माध्यम से मिल चुकी है। जल्द ही मौका का मुआयना व जांच के उपरांत आतिक्रमन मुक्त करने का प्रयास किया जाएगा
*अतिक्रमण रोकने का बेहतर उपाय पौधरोपण*
जैवविविधिता प्रबन्धन समिति पिथौराबाद के *इंद्रपाल सिंह पटेल* का कहना है कि अतिक्रमण रोकने का सबसे अच्छा उपाय है तालाब के चारो तरफ मेड में वअगोर में पौधरोपण किया जाए और ऐसी ही योजना समिति में प्रस्तावित की गई है। पर अतिक्रमणकारी उसमे पानी फेरने में आमादा है
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