Thursday, December 5, 2019

40 सालों से पुराने सिक्कों, नोटों और डाक टिकट का संग्रह कर रहा एक शख़्स

40 सालों से पुराने सिक्कों, नोटों और डाक टिकट का संग्रह कर रहा एक शख़्स

अनुपम दाहिया

सतना, प्रदेश के एक शख्स को पुराने सिक्कों, नोटों एवं डाक टिकटों का संग्रह करने का ऐसा जूनून है कि वह पिछले 40 सालों से यह काम कर रहा है। उसके संग्रह को देखकर लोग हैरान और दंग रह जाते हैं। उसके पास कई देशों के विभिन्न प्रकार के सिक्कों, नोटों एवं डाक टिकटों का एक अच्छा खासा संग्रह तैयार हो चुका है।

दरअसल सतना के सुभाष पार्क निवासी 58 वर्षीय राजेन्द्र अग्रवाल की पुराने सिक्कों, नोटों एवं डाक टिकटों का संग्रह करने में खासी दिलचस्पी है। राजेन्द्र 18 साल की उम्र से कलेक्शन कर रहे हैं। पिछले 40 सालों में राजेन्द्र ने अपने घर में ही मिनी संग्रहालय तैयार कर लिया है। जहां यह सब दुर्लभ चीजे संग्रहीत है। हालाँकि राजेन्द्र का जुनून अभी भी खत्म नहीं हुआ है। उनकी इच्छा है कि पूरी दुनिया के सिक्कों का संग्रह उनके पास हो।

राजेन्द्र घर के पास ही मेडिकल की दुकान पर व्यवसाय के साथ अपना शौक भी पूरा कर रहे है। उन्हें इस अनोखे कार्य के लिए देश की विभिन्न संस्थानों द्वारा कई बार सम्मानित किया जा चुका है। वह समय-समय पर प्रदर्शनियों में जाकर अपने संग्रह का प्रदर्शन भी करते हैं।

राजेन्द्र बताते हैं कि जब वह 18 साल के थे तब उनके पिताजी अग्रवाल समाज के जन्म स्थली गोहा जो हरियाणा में है से लगभग 200 वर्ष पुराने 80 सिक्के लाये थे। राजेन्द्र ने जब उन सिक्को को देखा तो उन्हें भी सिक्कों व नोट के संग्रह का ख्याल आया। धीरे-धीरे उनका वह संग्रह करते रहे और आज उनके पास अच्छा ख़ासा संग्रह हो गया है। उनके पास मुगलकालीन से लेकर कई राजघरानो के सिक्कों का अनूठा संग्रह है। किस सल्तनत के दौर में किस तरह के सिक्के चलन में थे। यह सब भी इनके संग्रह में देखे जा सकते हैं।

अलग-अलग कालखंड में विभिन्न प्रकार के जारी किये गये सिक्को की श्रृंखला में अधिकांश सिक्के इनके संग्रह में सम्मिलित है। इस संग्रह में रीवा व ग्वालियर राज घराने द्वारा चलाए गए सिक्को, मुगलकालीन सिक्कों एवं अंगेजो के जमाने के सिक्कों का संग्रह में समावेश है। इन सिक्कों में कुछ सिक्के अत्यंत पुराने एवं अन्य देशों के भी है। यदि इन के द्वारा संग्रहित सिक्कों का वजन किया जाए तो वह लगभग एक क्विंटल से अधिक ही होंगे।

राजेंद्र के पास तमाम ऐसे नोटो का जखीरा भी है जो अपने आप मे अद्भुत है। इनके पास दिनांक के 1, 2, 5, 10, 20, 50, 100 व 500 रुपये के पुराने नोट भी मौजूद हैं। वे उस जखीरे से अपने चहेते मित्रो को उनके जन्म दिवस के दिनांक वाली नोट खोज कर उपहार तक में देते है। राजेन्द्र को नोटो की पहचान का इतना अनुभव हो गया है कि वे नोट को कुछ सेकंड हाथ में लेकर ही पहचान जाते है कि उपरोक्त नोट की किस जगह छपाई की गई है।

राजेन्द्र के इस जुनून में उनके परिवार के सदस्य, मित्र और रिश्तेदार भरपूर सहयोग करते हैं। अगर किसी को भी कही कोई अलग तरह के नोट या सिक्के दिखते है तो उसे लेकर इनके पास पहुँचते हैं। राजेन्द्र के संग्रहण का शौक अब उनके बेटे अग्रज अग्रवाल को भी लग चुका है। वह भी इस शौक में उनका हाथ बटाता है। मेडिकल स्टोर में रहते समय उसकी नजर भी उन अनोखी नोटो की तरफ बनी रहती है।

राजेन्द्र के पास ऐसे भी दर्जनों मिस प्रिन्ट वाले नोट है जिसमे दोनों तरफ एक ही प्रिंट, क्रीजिंग त्रुटि, गहरी स्याही प्रिंट, सिक्योरटी थ्रेड में त्रुटि, एक ही तरफ छपाई, ज्यादा बड़े पेपर, एक ही नोट में डबल छपाई व कई बिना सीरियल नम्बर के नोट भी है। उन्होंने बताया कि ऐसा करोड़ों की छपाई में कभी एकाध बार ही होता है। फिर मिस प्रिंट वाले नोट की छटनी होती है और उसके बाद ही बाजार में आता है। इससे गलती की गुंजाइश नहीं के बराबर होती है। इस तरह के दुर्लभतम और गलत छपाई वाले नोट की बहुत मांग होती हैं। हम संकलनकर्ताओ को ऐसे अवसर का बेसब्री से इंतजार होता हैं। संग्रह में ये कोई साधारण नोट नहीं हैं। बल्कि यह एक असाधारण और बड़े लोगों की दिलचस्पी वाले नोट होते है।

सिक्कों और नोट के अलावा राजेन्द्र पुरानी दुर्लभ डाक टिकट के कलेक्शन का कार्य भी करते हैं। डाक टिकट के संग्रह पर राजेन्द्र ने बताया कि हर डाक-टिकट किसी न किसी विषय की जानकारी देता है। उसके पीछे कोई न कोई इतिहास जरूर छुपा होता है। अगर हम इस छुपी हुई कहानी को खोज सकें तो यह हमारे सामने ज्ञान की रहस्यमयी दुनिया का नया पन्ना खोल देता है। जिसके द्वारा हम अनेक देशों के इतिहास, भूगोल, संस्कृति, ऐतिहासिक घटनाएँ, भाषाएँ, मुद्राएँ, पशु-पक्षी, वनस्पतियों और लोगों की जीवनशैली एवं देश के महानुभावों के बारे में बहुत सारी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

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