ऊँचेहरा के करही कला में भूंख से तड़प कर मर रहे पशु
ऊँचेहरा ।
जनपद के समीप ग्राम पंचायत करही कला में सड़क के किनारे गाव के ही कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा 3 महीने पहले चारो तरफ लकड़ियों के सहारे बकायदा कटीली तार लागाकर पंचायत भवन के बगल से एक बाड़ा बनाया है जिसमे गाँव के आवारा मवेशियों को इसके अन्दर बन्द कर देते है पर इन बन्द किये हुए पशुओ के चारा पानी की व्यवस्था न होने से महीनों में यहां दर्जनों गायों की मौत हो चुकी है जिसके कंकाल भी वही पड़े हुए हैं । वही पचासों भूंखो मरने की कगार पर है , लेकिन बावजूद इसके व्यवस्था में अब तक कोई सुधार नहीं हुआ है।यद्यपि भूंखे रहने के कारण कुछ मवेशियों की स्थिति काफी नाजुक दयनीय दिख रही भूख-प्यास से तड़प रही गाएं इतनी कमजोर हो चुकी है कि सभी की पसलियां तक नजर आ रही हैं।जिनको चल पाने में भी परेशानी हो रही है।
मरे हुए पशुओं की दुर्गंध से वातावरण है प्रदूषित
गौशाला में मरे हुए पशुओं व कंकाल की दुर्गंध आस-पास रहने वाले लोगों के लिए नासूर बनी हुई है आस-पास इतनी अधिक बदबू है कि लोगों को वहां से गुजरना भी मुहाल हो जाता है। दुर्गध वातावरण को प्रदूषित करती है। वहीं इस तरह संक्रमण के कारण मृत पशु कई बीमारियों का कारण भी बन सकते हैं। वहीं मरे हुए पशु को खाने वाले कुत्ते मांस व हड्डियों को काफी दूर तक फैला देते हैं।
कड़े कानून सिर्फ कागजो तक सीमित
यूं तो देखा जाए तो गोवंशों और पशुओं के विरुद्ध हो रही क्रूरता को रोकने के लिए कड़े कानून बनाये गए हैं । जिनके सही तरीके से क्रियान्वयन से गोवंशों और पशुओं के साथ हो रही क्रूरता को काफी हद तक कम किया जा सकता है लेकिन दुर्भाग्य यह है भारत के ज्यादातर नियम अधिनियम मात्र कागजों तक ही सीमित हैं और जमीनी स्तर पर इन्हें अधिरोपित करने वाली कार्यपालिका की संस्थाएं भी नाकाम साबित हो रही हैं ।
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