एक ओर सरकार वन्य प्राणियों के संरक्षण के लिए हर साल करोड़ों रुपए खर्च कर रही है तो दूसरी ओर वन्य प्राणियों की मौत के मामले लगातार सामने आ रहे हैं।
मुंबई - हावड़ा रेलमार्ग के सतना - मानिकपुर रेलखंड में 6 जनवरी देर रात 1 बजे के करीब मारकुंडी से टिकरिया के रेलवे स्टेशन के बीच सात नम्बर पुलिया के पास ट्रेन की चपेट में आने से एक तेंदुए एक की मौत हो गई । इसके बाद आरपीएफ व वनविभाग के महकमे में खलबली मच गई ।
जानकारी होने पर रानीपुर वन्य प्राणी विहार के अधिकारियों के साथ रेलवे के अफसरों को रात में ही दिशा निर्देश जारी हुए जिसके बाद मझगवां आरपीएफ पोस्ट प्रभारी हरफूल सिंह भदाला के अलावा मानिकपुर प्रभागीय वनाधिकारी कैलाश प्रकाश ने मौके मुआयना किया । अनुमान लगाया जा रहा है कि ,जिस ट्रैक पर तेंदुआ कटा है उसके दूसरे किनारे में एक नाला है जिसमे पानी भरा हुआ है। पानी पीने तेंदुआ नाला पहुंचा होगा और तभी ट्रेन आ गई जिससे उसकी मौत हो गई । शव को मारकुडी वन रेंज लाकर शाम को पोस्टमार्टम किया गया ।
तीन साल पहले इसी ट्रैक पर कटा था बाघ
6 दिसम्बर 2016 को मझगवा रेंज के चितहरा बीट में ट्रेन की चपेट में आकर युवा बाघ जान गवां चुका है । उस दौरान तत्कालीन वन मंडलाधिकारी आरबी शर्मा ने मातहत कर्मचारियों को रेल ट्रैक के किनारे फेसिंग कराने के आदेश दिए थे । साथ ही , रेलवे बोर्ड को जंगल के अंदर से गुजरने वाली हर ट्रेन की स्पीड कम करने को लेकर पत्र लिखा गया था । तीन वर्ष बाद भी दोनों आदेशों पर अमल हो नहीं पाया । बीते दिनों इसी ट्रैक के आसपास एक बाघिन व दो शावक देखे गए थे , हालांकि वे खुशकिस्मत निकले और ट्रेन की चपेट में आने से बच गए ।
गश्ती दल को दिए गए पटाखे
ट्रेन की चपेट में आने से एक तेंदुआ की मौत से सबक लेते हुए यहां वन मंडलाधिकारी राजीव मिश्र ने मझगवां रेंज के गश्ती दल को हर वक्त सचेत रहने की हिदायत दी है ,व गश्ती दल को हाईपावर टार्च के अलावा पटाखे भी उपलब्ध कराए गए हैं । सतना वन मंडल चितहरा से टिकरिया स्टेशन तक लगभग 10 किलोमीटर की ट्रेन ट्रैक की नाइट पेट्रोलिंग करने हेतू 4 - 4 सदस्यीय दस्ते बनाए हैं । गश्ती दल को हिदायत दी गई है कि जंगल में जरा सी भी आहट पर वे पटाखों का उपयोग करें ताकि रेल लाइन की विपरीत दिशा में वन्य प्राणियों के रुख को बदला जा सके ।
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