Tuesday, January 21, 2020

सतना के आदिवासी बाहुल्य पहाड़ी अंचल में अधिकारियों की उदासीनता के चलते यहां संचालित सरकारी स्कूलों की व्यवस्थाएं बेपटरी है

मास्टर जी, आप कब आओगे ?

अधिकारियों की उदासीनता के चलते परसमनिया पहाड़ी अचल में संचालित सरकारी स्कूलों की व्यवस्थाएं
बेपटरी है

आधुनिकता के इस दौर में सरकार की ओर से सरकारी स्कूलों के शिक्षा के स्तर को ऊंचा उठाने के लिए दावे किये जा रहे है,वहीं ऐसे में जिले के ऊँचेहरा जनपद क्षेत्र के परसमनिया पठारी क्षेत्र के हालत कुछ और ही है पहाड़ी अंचल होने से यहां सही तरीके से अधिकारियों द्वारा सतत निगरानी नही हो पा रही जिसका फायदा यहां पदस्थ कर्मचारी उठा रहे हैं ।
यहां के संकुल केंद्र पहाड़ी अंतर्गत आने वाली शासकीय प्राथमिक शाला कलावल में आज बुधवार सुबह करीब 11-30 बजे स्कूल में ताला लटक रहा था और यहां पढ़ने वाले बच्चे खुले आसमान के नीचे ठड में ठिठुरते ताला खोलने कर्मचारी और अध्यापक का इंतजार करते हुए खड़े थे । बताया गया कि इस स्कूल में चार शिक्षक है जो नागौद और मैहर से आते है।
समूचे क्षेत्र में शिक्षा व्यवस्था भगवान भरोसे
जानकारी के अनुसार यहाँ ऊँचेहरा विकसखण्ड के पहाड़ी अंचल में 16 पंचायत अंतर्गत 84 गाव है जहॉ अधिकारियों की उदासीनता के चलते क्षेत्र में संचालित सरकारी स्कूलों की व्यवस्थाएं भगवान के भरोसे हैं। कहीं स्कूलों में शिक्षक देरी से आते हैं तो कहीं स्कूलों में ताले लगे होते हैं शिक्षा विभाग के कड़े निर्देश धरासायी दिखाई देते है यहां के अधिकांस स्कूलो में छुट्टी के जैसे हालत ही रहते यहां पढ़ाने वाले शिक्षक ऊँचेहरा,नागौद, मैहर ,जैसे शहरो में रहते है मोटरसाइकल से आकर प्रति दिन आवागमन कर पढाने आते हैं इस कारण सुबह पहले समय पर पहुचते नहीं व कुछ ही घण्टो में पुनः जाने की तैयारी बना लेते हैं। लिहाजा क्षेत्र में शिक्षा व्यवस्था पटरी से उतरी हुई है और कहीं ना कहीं बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ होता दिखाई दे रहा है।

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